हैदराबाद, श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रमणोपासक संघ रामकोट के तत्वावधान में आयोजित प्रवचन सभा में श्री सुधाकंवरजी म.सा ने प्रभु महावीर की अंतिम देशना उतराध्ययन सूत्र के अनुसार श्रावक के 21 गुणों में से 11 गुणों का विवेचन करते हुए कहा कि मनुष्य जीवन में तीन शल्य बताए गए हैं- माया शल्य, निदान शल्य और मिथ्या दर्शन शल्य।

माया के बारे में बताया गया है कि माया अर्थात छल कपट, धोखाधड़ी करने वाला व्यक्ति नर्क में जाता है। माया को नागिन की उपमा दी गई है। धर्म के आचरण से मन में सरलता आती है। व्यक्ति तीन प्रकार के बताए गए हैं- सुपारी समान बाहर और अंदर से कठोर (कालू कसाई), नारियल के समान बाहर से कठोर और अंदर से नरम (माता समान) और दाख के समान बाहर से नरम और अंदर से भी नरम।

श्री सुयशाजी म.सा ने बताया: गुणों की प्रशंसा करें, अहंकार नहीं

आज यहाँ रतनचंद कटारिया और प्रकाश गादिया द्वारा जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, श्री सुयशाजी म.सा ने आध्यात्मिक यात्रा कराते हुए बताया कि जीवन में दूसरों की प्रशंसा करनी चाहिए, लेकिन स्वयं की प्रशंसा पर गर्व न करें। धनवान की नहीं, गुणवान की प्रशंसा करें। सकारात्मक सोच उन्नति की ओर और नकारात्मक सोच अधोगति की ओर ले जाती है। सद्कार्य करने वाले की अनुमोदना करें।

आज धर्मसभा का संचालन करते हुए संघ के अध्यक्ष किशोरकुमार मुथा ने बताया कि भवन में जप तप आराधनाएँ निरंतर गतिमान हैं। कल महामंत्र नवकार का जाप कराने का लाभ शकुंतला रमेश बरमेचा ने लिया। आज का लाभ सीमा राजेन्द्र सिंघी परिवार ने लिया। तेले की कड़ी में आज समता सिंघी ने गुरु मैया के मुखारविंद से 2 उपवास और सुनीता कोठारी ने आयंबिल के प्रत्याखान ग्रहण किए।

माँ पद्मावती का एकासन कराने का लाभ अमरचंद रमाबाई कोटेचा परिवार ने लिया। आज प्रभावना का लाभ गौतमचंद अनमोल कांकरिया परिवार ने लिया। प्रवचन पश्चात प्रश्न मंच का आयोजन किया गया। प्रतिभागियों को ललिता गादिया की ओर से पुरस्कार प्रदान किए गए।

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अवसर पर मरूधर केसरी सेवा समिति के पदाधिकारी – भवरलाल कटारिया, गौतमचंद मुथा, धर्मीचंद भंडारी, जे. पारसमल कटारिया और अन्य ने आगामी 3 अगस्त को आयोजित किए जाने वाले मरुधर केसरी श्री मिश्रीमलजी म.सा और शेरे राजस्थान लोकमान्य संत वरिष्ठ प्रवर्तक श्री रूपचंदजी म सा के जन्मोत्सव में सानिध्य प्रदान करने की विनती साध्वीश्री से की।

संघ के महामंत्री राजेश सुराणा ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि श्रमणसंघीय प्रथम आचार्य राष्ट्रसंत आचार्य सम्राट श्री आनंद ऋषिजी म सा के 125वें जन्मोत्सव पर त्रिदिवसीय कार्यक्रम के तहत एकासन दिवस और जाप दिवस मनाया गया। 27 जुलाई को सामायिक दिवस एवम् गुणानुवाद सभा का आयोजन होगा।

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